Diaper rash in infants |Hindi| शिशुओं में डायपर रैश

आज के इस बदलते समय में मनुष्य नए – नए तकनीकी साधनों का प्रयोग करने लगा है । आज विज्ञान इतना आगे बढ़ चुका है कि मनुष्य का जीवन अत्यंत आरामदायक हो चुका है । बच्चे हों या बूढ़॓ सबके लिए बाज़ार में ज़माने के अनुसार नई चीजें आ चुकी हैं । डायपर भी उन्हीं में से एक है । आजकल डायपर का इस्तमाल करना आम हो चुका है । डायपर की वजह से माता – पिता तथा शिशु दोनों को सुविधा रहती है । कई बार माता – पिता इतने व्यस्त हो जाते हैं कि शिशुओं का डायपर बदलना भूल जाते हैं । इसी वजह से उनके शिशुओं को रैश भी हो जाते हैं । उन्हीं सब कारणों और उनके उपायों के बारे में मैं आपलोगों को बताऊँगी । तो आइए जानते हैं Diaper rash in infants/ शिशुओं में डायपर रैश ।

शिशुओं की त्वचा अत्यंत नाज़ुक और संवेदनशील होती है । छोटी सी छोटी लापरवाही उनके त्वचा को नुकसान पहुँचा सकती है । इसलिए उनका ध्यान अच्छी तरह रखना पड़ता है । बच्चों में सबसे ज्यादा परेशानी Diaper rash की वजह से होती है । Diaper rash in infants/ शिशुओं में डायपर रैश के बारे में जानने से पहले निम्न बातों को जानें । सर्वप्रथम आपको यह जानने की आवश्यकता है कि डायपर रैश क्या होता है ?

Newborn Baby Care

डायपर रैश एक तरह की त्वचा की जलन होती है । ये बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन की वजह से होते हैं । यदि आपके शिशुओं के गुप्तांगों में लाल चकत्ते दिखाई दें तथा वहाँ जलन हो । तो आप समझ लें कि आपके बच्चे को डायपर रैश हुआ है । इसके अतिरिक्त आपके शिशु के डायपर पहनने वाली जगह की त्वचा रूखी – सी हो गई हो । इसके साथ ही वहाँ इतना जलन हो कि बच्चा दिन भर रोते रहे । ऐसी सम्भावनाओं को देखते हुए आप जान सकते हैं कि आपके शिशु को डायपर रैश हुआ है । अब बात करते हैं यह समस्या होती क्यों है ? इसके कारण क्या हैं ?

Cause of Diaper Rash / कारण – डायपर रैश के कई कारण हैं -

1) यदि शिशु अत्यधिक समय तक एक ही डायपर में रहे तो यह समस्या ज्यादा हो सकती है । शिशु के डायपर को हर 2 – 3 घंटों में बदलते रहना चाहिए । यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो डायपर और त्वचा में स्थित नमी और (Bacteria) जीवाणु से शिशु को डायपर रैश होने की सम्भावना रहती है । गीले और गंदे डायपर से शिशु की त्वचा आसानी से कमजोर हो जाती है । उन्हें खुजली भी शुरु हो जाती है । अत: उस स्थान पर आपके बच्चे को जलन और असहज महसूस होता है ।

2) यदि आपके शिशु को दस्त हुआ हो तो उस समय भी डायपर रैश होने की सम्भावना अधिक होती  है । अत: उस समय कोशिश करें कि आपके शिशु के डायपर पहनने वाली जगह सूखी रहे ।

3) खान – पान में बदलाव और (antibiotics) एंटीबायोटिक्स के कारण भी रैश हो सकते हैं । जब बच्चे के खाने में कोई नई चीज जुड़ती है तो उससे भी Rash होने की सम्भावना रहती है । छोटे बच्चों को किसी भी तरह का अचानक बदलाव सहन नहीं होता है । जब बच्चे बीमार हों उन्हें जल्द एंटीबायोटिक्स नहीं देना चाहिए । इससे बच्चे को डायरिया होने की सम्भावना रहती है । यदि किसी वजह से उन्हें खाना भी पड़॓ तो कुछ बच्चों को उससे रैशेज की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

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4) अत्यधिक टाइट डायपर पहनने से भी यह समस्या हो सकती है । डायपर खरीदते समय कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए । जैसे आपके बच्चे का वजन कितना है या उसकी उम्र कितनी है । आप कोशिश करें कि अपने बच्चे को एक साइज़ बड़ा डायपर पहनाएँ । इससे उसे रैशेज होने की सम्भावना कम होगी । इन सब बातों का ध्यान रखकर डायपर खरीदना चाहिए ।

5) यदि आपके शिशु की त्वचा अत्यंत संवेदनशील है तो इस कारण से भी डायपर रैश हो सकता है । इसलिए बिना जाँच किए कोई भी लोशन इत्यादि अपने बच्चे की त्वचा पर न लगाएं ।

6) डायपर के ब्रैंड या disposal baby wipes में बदलाव के कारण भी डायपर रैश होने की सम्भावना होती है । अपने बच्चे के लिए किसी एक ही अच्छे ब्रैंड की वस्तुओं का प्रयोग करें । बार – बार प्रोडक्ट्स बदलने से बच्चे को चकत्ते निकल सकते हैं । अपने बच्चे के डिटर्जेंट, साबुन, क्रीम, लोशन, पावडर इत्यादि किसी भी चीज में बदलाव ना करें । इससे भी डायपर रैश हो सकता है ।

अब बात करते हैं डायपर रैश से बचने के कुछ आसान से उपाय । जिनका पालन करने से आपके बच्चे की त्वचा में होने वाले डायपर रैश की सम्भावनाओं को आसानी से कम किया जा सकता है ।

Remedies / उपाय – डायपर रैश से बचने के कई उपाय हैं -

1) बच्चे के डायपर को समय-समय पर बदलते रहें । कई लोग अपने आराम की खातिर दिन भर एक ही डायपर में अपने बच्चे को रख देते हैं । इससे बच्चे का डायपर भर जाता है । अत: गंदगी तथा गीलेपन की वजह से शिशु को लाल चकत्ते निकल जाते हैं । इसलिए माता – पिता को समय के अनुसार बच्चे का डायपर बदल देना चाहिए । यूं तो अच्छे ब्रैंड के डायपर कई घंटों तक पहनाकर रखा जा सकता है । लेकिन फिर भी जब बात अपने बच्चे की सुरक्षा की होती है तो अतिरिक्त ख्याल रखना आवश्यक है । 

2) डायपर बदलते समय बच्चे के कूल्हों और गुप्तांगों को अच्छी तरह गुनगुने पानी से साफ करें । ध्यान रहे साफ करने वाला कपड़ा भी अच्छी तरह धुला हुआ हो । आप साफ करने के लिए अच्छे ब्रैंड के Baby wipes का भी इस्तमाल कर सकते हैं । इसके बाद साफ तौलिए से तुरंत सूखा भी दें ।

3) बच्चे को ज्यादा टाइट डायपर ना पहनाएँ । अत्यधिक टाइट डायपर के कारण शिशु के निचले हिस्से की त्वचा को हवा नहीं लग पाती है । इससे उनकी त्वचा नम पड़ जाती है और डायपर रैश होने की सम्भावनाएं बढ़ जाती हैं । इसके साथ ही टाइट डायपर से जाँघों में रगड़ भी लग सकती है ।

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4) एक अच्छे ब्रैंड के डायपर का ही इस्तमाल करें । छोटे बच्चों का ख्याल बहुत सही तरीके से रखना चाहिए । बच्चे के जन्म के समय ही यह तय कर लेना चाहिए कि कौन सा डायपर उसके लिए सही है । इसके लिए आपको यह ध्यान रखना होगा कि कौन से डायपर में डबल लीक गार्ड हो । डबल लीक गार्ड वाले डायपर 12 घंटों के उपयोग के बाद भी रिसाव से 100% सुरक्षा प्रदान करते हैं । वैसे डायपर्स में एलोवेरा बेबी लोशन भी मौजूद होते हैं । ऐसे डायपर्स बच्चे की त्वचा को डायपर रैशेज और जलन से बचाव में मदद कर सकते हैं । एक अच्छे ब्रैंड के डायपर्स के ऊपरी भाग कॉटन से बने होते हैं और काफी आरामदायक होते हैं । ऐसे डायपर हर साइज तक उपलब्ध होते हैं । जरूरत के अनुसार इसके छोटे और बड़॓ पैकेट भी उपलब्ध होते हैं ।    

5) डायपर बदलने से पहले अपने हाथों को जरूर धोएं । हम दिन भर अपने कामों में अत्यंत व्यस्त रहते हैं ।  इसलिए हमें ध्यान ही नहीं रहता है कि हमारे हाथों में कितने किटाणु जम गए हैं । ऐसे में यदि हम बिना हाथ धोए अपने बच्चे का डायपर बदलेंगे तो बच्चे को इंफेक्शन हो सकता है । इसलिए आवश्यक है आप अपने बच्चे को साफ हाथों से ही छूएं ।

6) जब बच्चे को डायपर रैश हो जाए तो डॉक्टर द्वारा दिए गए (prescribed medicated lotion) लोशन को ही लगाएँ । कोई भी बाज़ार के (products) उत्पादों का न इस्तमाल करें । इसके साथ ही आप नारियल तेल का भी इस्तमाल कर सकते हैं । नारियल का तेल आपके बच्चे के शरीर पर फंगस इंफेक्शन तथा यीस्ट इंफेक्शन होने से रोकता है । इससे आपके बच्चे को राहत महसूस होगी । आप दिन भर में कई बार नारियल तेल डायपर एरिया में लगा सकते हैं।

7) कई डॉक्टर पेट्रोलियम जेली का इस्तमाल करने के लिए कहते हैं । पेट्रोलियम जेली बच्चे की रैश वाली त्वचा को मुलायम रख सकती है । लेकिन इसका इस्तमाल बिना डॉक्टर की सलाह लिए बगैर ना करें । इसमें कई तरह के (Chemicals) रासायनिक पदार्थ होते हैं जो आपके बच्चे की त्वचा के लिए सही नहीं है ।

8) अपने शिशु को नहलाते समय सफाई पर विशेष ध्यान दें । एक अच्छे ब्रैंड के साबुन और शैम्पू का इस्तमाल करें । इसके साथ ही बच्चे के शरीर के हर एक कोने को अच्छे से साफ करें । नहलाते समय डेटॉल या कोई भी एंटीसेप्टिक लिक्विड का इस्तमाल करें । इससे बच्चे के शरीर में कोई भी इंफेक्शन या बीमारी जल्दी नहीं फैलेगी । इसके पश्चात् साफ तैलिया से बच्चे के शरीर को पोछ दें ।

9) बच्चे के नाज़ुक अंगों को थोड़ी देर के लिए खुली हवा लगने दें । दिनभर पसीने की वजह से भी (rashes) चकत्ते हो सकते हैं । इसके साथ ही खुली हवा लगने से बच्चे को आराम भी महसूस होगा ।

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10) छोटे बच्चे को धीरे – धीरे (Solid materials) ठोस पदार्थों का सेवन करवाएँ । एकाएक ठोस पदार्थ खिलाने से उनका पॉटी (मल) में बदलाव आने लगता है । इस बदलाव के कारण मल कभी कम होता है तो कभी बार–बार । बार-बार मल होने की वजह से रैशेज होने की सम्भावना रहती है । इसलिए बच्चे को ठोस पदार्थों का सेवन एकाएक ना करवाएँ ।

11) अपने शिशु के कपड़ों को अलग से हल्के डिटर्जेंट में धोएँ । ऐसा करने से कोई भी रसायन उसके कपड़ों में नहीं रहेंगे । रसायन नहीं होंगे तो उन्हें किसी भी प्रकार के रैशेज होने की सम्भावना कम होगी ।  

अंत में मैं यही कहना चाहती हूँ कि किसी भी घरेलू उपक्रमों का उपाय बिना डॉक्टर की सलाह लिए बगैर ना करें । छोटे बच्चे अत्यंत नाज़ुक होते हैं । उनपर किसी भी तरह का प्रयोग ना करें जिससे बाद में उन्हें तकलीफ हो । अत: मैंने जो Diaper rash in infants/ शिशुओं में डायपर रैश के कारण और उपाय बताए हैं उससे आपको अवश्य मदद मिलेगी ।

आपको मेरा लेख Diaper rash in infants/ शिशुओं में डायपर रैश कैसा लगा कृपया कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएँ । इसके साथ ही आप यदि कोई सुझाव देना चाहते हैं तो वह भी दे सकते हैं ।

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