Jaundice in babies | Hindi | नवजात शिशुओं में पीलिया

पीलिया किसी भी उम्र में हो सकता है । पीलिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें आँखें और त्वचा पीली हो जाती हैं । छोटे बच्चों में पीलिया होना एक सामान्य स्थिति है । अधिकांश नवजात शिशुओं को जन्म के बाद ही पीलिया हो जाता है । इससे कई माता – पिता अत्यंत घबरा जाते हैं । यह बीमारी नवजात शिशुओं के जन्म के एक – दो सप्ताह के बाद ही ठीक हो जाती है । यदि यह एक – दो सप्ताह में ठीक ना हो तो इसका सही समय पर इलाज करवाना बहुत जरूरी है । आज मैं आपको Jaundice in babies / नवजात शिशुओं में पीलिया के लक्षण तथा उसके उपायों के बारे में बताऊँगी ।

सबसे पहले तो यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि नवजात शिशुओं में जन्म के समय पीलिया होता क्यों है ?  शिशुओं में बिलीरूबिन की मात्रा बढ़ जाने से पीलिया हो जाता है । यह अधिकांश उन बच्चों में पाया जाता है जिनका जन्म समय से पहले हो जाता है । उनके अंग बिलीरूबिन को कम करने के लिए सही से विकसित नहीं हुए होते हैं । यह शिशु के जन्म के 24 घंटे के बाद नजर आता है । उसके बाद यह दूसरे या तीसरे दिन अधिक बढ़ जाता है । आमतौर पर एक सप्ताह तक शिशुओं में पीलिया रहता है ।

Newborn Baby

Jaundice in babies / नवजात शिशुओं में पीलिया अत्यंत आम है । इसका यह मतलब नहीं कि सभी शिशुओं को जन्म के बाद पीलिया हो जाता है । यह 10 में से 6 नवजात शिशुओं को ही होता है । कुछ बच्चों का जन्म समय से पहले अर्थात् 36 वें या 37 वें सप्ताह में हो जाता है । उनमें पीलिया ज्यादा होने की सम्भावना रहती है । इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है । इसका सही तरीके से इलाज करवाने से यह ठीक हो जाता है । समय से पहले जन्में बच्चों में पीलिया कई कारणों से होता है । आइए जानते हैं Jaundice in babies / नवजात शिशुओं में पीलिया के कारण –

1) अविकसित लिवर – शिशुओं के शरीर में बिलीरूबिन की मात्रा अधिक होने से पीलिया होने की सम्भावना अधिक होती है । लिवर खून से बिलीरूबिन के प्रभाव को दूर करने का काम करता है । नवजात शिशुओं का लिवर ठीक से विकसित नहीं होता है । इसलिए वह बिलीरूबिन को फिल्टर नहीं कर पाता है । यही कारण है कि शिशुओं में इसकी मात्रा बढ़ जाती है तथा उन्हें पीलिया हो जाता है ।

2) प्रीमेच्योर बेबी – प्रीमेच्योर बेबी या समय से पहले जन्मे शिशुओं को पीलिया होने का खतरा ज्यादा रहता है । नवजात शिशुओं का लिवर अविकसित होने के कारण उन्हें पीलिया हो जाता है ।

3) ठीक से स्तनपान न करना – जन्म के शुरुआती दिनों में शिशुओं को ठीक से स्तनपान करना अत्यंत आवश्यक है ।  यदि शिशु को माँ का दूध पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल रहा हो तो वह पीलिया से ग्रसित हो सकता है । शिशु का ठीक से स्तनपान न करना पीलिया होने का प्रमुख कारण है । इससे उन्हें पर्याप्त मात्रा में पोषण नहीं मिल पाता है । इसके लिए अपने चिकित्सक या स्तनपान विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए । विशेषज्ञ आपको दूध पिलाने की उचित विधि बतलाते हैं । इसके साथ ही स्तनपान में वृद्धि होने के उपाय भी बतलाते हैं । पर्याप्त दूध प्राप्त होने से पीलिया होने की सम्भावना कम होगी ।  

4) माँ के दूध के कारण – शुरुआती कुछ हफ्तों में स्तनपान करने वाले बच्चों में माँ के दूध की वजह से भी पीलिया हो जाता है । माँ के दूध में ऐसे तत्त्व पाए जाते हैं, जो बिलीरूबिन को रोकने की प्रक्रिया में बाधा पहुँचाते हैं । शिशुओं में Bilirubin / पित्तरंजक का स्तर बहुत अधिक हो जाता है । ऐसे में चिकित्सक आपको कुछ दिनों के लिए स्तनपान रोकने की सलाह दे सकते हैं । जब Bilirubin / पित्तरंजक का स्तर अपनी सामान्य स्थिति में आ जाए तो आप शिशु को स्तनपान करा सकती हैं । 

5) रक्त सम्बंधी कारण – जब माँ और भ्रूण का रक्त समूह अलग – अलग होता है । ऐसी अवस्था में माँ के शरीर से कुछ एंटीबॉडीज निकलते हैं । ऐसे एंटीबॉडीज भ्रूण की लाल रक्त्त कोशिकाओं को मार देते हैं । इसके साथ ही ये शरीर में बीलिरूबिन की मात्रा को बढ़ाते हैं । जिससे शिशु पीलिया के साथ जन्म लेता है ।

6) अन्य कारण – इसके अलावा पीलिया संक्रमित बच्चे के पाचन तंत्र में किसी समस्या की वजह से भी पीलिया हो सकता है । शिशु का लिवर ठीक से काम न करने, बैक्टीरियल या वायरल इंफेक्शन व एंजाइम की कमी के कारण भी बच्चे को पीलिया हो सकता है ।

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नवजात शिशु में पीलिया के लक्षण –

पीलिया ज्यादा खतरनाक बीमारी नहीं है । यदि पीलिया के लक्षण सही समय पर पहचान कर सावधानियाँ बरत ली जाएं तो इससे बचा जा सकता है । आइए जानते हैं शिशुओं में पीलिया होने के लक्षण –

  • पीलिया होने का सबसे पहला लक्षण है नवजात शिशु के शरीर, चेहरे तथा आँखों का रंग पीला पड़ जाना । शिशु को पीलिया होने पर सबसे पहले उसके चेहरे पर पीलापन दिखेगा । उसके बाद उसकी छाती, पेट, हाथों तथा पैरों पर पीलापन आने लगेगा । इसके साथ ही शिशु की आँखों का सफेद हिस्सा भी पीला पड़ने लगता है ।

इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी हैं । उनके संकेतों से शिशु को डॉक्टर के पास ले जाने की आवश्यकता पड़ती है । जैसे –

  • यदि शिशु की भूख खत्म हो जाए ।
  • यदि आपका शिशु बिल्कुल सुस्त दिखाई देने लगे ।
  • यदि आपका शिशु बहुत रोता हो ।
  • यदि आपके शिशु का बुखार 100 डिग्री से ज्यादा हो ।
  • यदि आपके शिशु को उल्टी – दस्त दोनों हो जाएं ।
  • यदि आपके शिशु के पेशाब का रंग गहरा पीला तथा मल का रंग फीका हो जाए ।
  • यदि पीलिया 14 दिन तक ठीक न हो ।
  • यदि शिशु को सात दिन का हो जाने के बाद पीलिया हुआ हो तो चिंतनीय विषय बन सकता है ।
Photo by Polina Tankilevitch from Pexels

उपाय –

यदि आपके शिशु का पीलिया ज्यादा बढ़ जाए तो आप बिल्कुल ना घबराएं । उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं । डॉक्टर शिशु की स्थिति के अनुसार इलाज करेंगे । ऐसे में डॉक्टर नीचे बताए गए तरीकों से शिशु का इलाज कर सकते हैं –  

फोटोथेरेपी ( लाइट थेरेपी) – शिशुओं के पीलिया को फोटोथेरेपी द्वारा ठीक किया जाता है । इस थेरेपी के दौरान शिशु को रोशनी के नीचे बिस्तर पर लिटाया जाता है, जो वेवलेंथ किरणें छोड़ती हैं । इस दौरान शिशु की आँखों को बचाने के लिए उसके ऊपर एक पट्टी रख दी जाती है । हर तीन – चार घंटों में आधे घंटे के लिए यह प्रक्रिया बंद की जाती है । जिससे शिशु को आराम मिल सके । इस आधे घंटे में माँ अपने शिशु को दूध पिला सकती है । इस दौरान शिशु को हाइड्रेट रखने के लिए स्तनपान अत्यंत आवश्यक है ।  

इम्यूनोग्लोबुलीन इंजेक्शन – यह इंजेक्शन तब लगता है जब शिशु और माँ का ब्लड ग्रुप भिन्न होने से उसे पीलिया हो जाता है । यह इंजेक्शन शिशु के शरीर में एंटीबॉडीज के स्तर को कम करता है । इससे पीलिया कम होने लगता है ।

शिशु का रक्त बदलना – यह उपचार तब अपनाया जाता है जब अन्य कोई उपचार काम नहीं करता हो । इस उपचार में बार – बार डोनर के रक्त के साथ शिशु का रक्त बदला जाता है । यह तब तक किया जाता है जब तक पूरे शरीर से बिलीरूबिन की मात्रा कम नहीं हो जाती है ।

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इसके अलावा कुछ घरेलू उपाय भी हैं । जैसे अपने शिशु को कुछ देर के लिए धूप में रखें । समय – समय पर बच्चे को स्तनपान कराते रहें । माँ का दूध शिशु के लिए अत्यंत फाएदेमंद होता है । यदि आपका शिशु ठीक से स्तनपान नहीं कर पा रहा है तो डॉक्टर की स्लाह लेकर कोई सप्लीमेंट्स भी दे सकते हैं ।

इस लेख में मैंने आपको Jaundice in babies / नवजात शिशुओं में पीलिया होने से सम्बंधित जरूरी जानकारियाँ देने की कोशिश की है । मुझे उम्मीद है आपको इससे मदद अवश्य मिलेगी ।

आपको मेरा लेख Jaundice in babies / नवजात शिशुओं में पीलिया कैसा लगा कृपया कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएँ । इसके साथ ही आप यदि कोई सुझाव देना चाहते हैं तो वह भी दे सकते हैं ।

4 thoughts on “Jaundice in babies | Hindi | नवजात शिशुओं में पीलिया”

  1. It’s really informative. My baby had similar issues, she was 2 weeks pre.

    Article would be helpful for new parents.
    Thanks 👍

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